Image Source : NASA/JPL-Caltech
फिर भी जरा खून की उन नदियों के बारे में सोचिए जो कुछ जनरलों और राजाओं ने सिर्फ इसलिए बहा दीं ताकि जंग में जीत कर वो इस तिनके जैसी पृथ्वी के मामूली से हिस्से पर काबिज हो सकें ,इसी बिंदु के एक छोटे से अंश पर अपनी गौरवगाथा लिख सकें। उन बेशुमार जुल्मों के बारे में सोचिए जो यहीं किसी कोने में रहने वालों ने किसी दूसरे कोने में रहने वाले अपने ही जैसे लोगों पर ढाये ।
ये सारे लोग कितने नासमझ थे ,एक दूसरे के खून के कितने प्यासे, आपस में किस हद तक नफरत करने वाले , मगर हमारा अहं , हमारा गरूर हमारा भ्रम कि हम इस ब्रह्मांड में बहुत खास हैं , ब्रह्मांड की विशालता के सामने चूर-चूर हो जाता है । हमारा ग्रह ब्रह्मांड के घने अँधेरे में इक छोटे से बिंदु की तरह है। इस विशाल ब्रह्मांड में हम खुद अँधेरे में घिरे हैं और नहीं जानते कि हमें खुद से बचाने के लिए कहीं से कोई मदद आएगी या नहीं।
अबतक यही पता है कि सिर्फ पृथ्वी पर जीवन है,आने वाले वक्त में ऐसी कोई जगह नजर नहीं आती जहाँ हमारी प्रजाति जाकर बस सके । जा तो सकती है मगर बस नहीं सकती; आपको अच्छा लगे या बुरा! फिलहाल, हम पृथ्वी को छोड़कर कहीं नहीं बस सकते।
तभी तो कहा जाता है खगोल-विज्ञान इंसान को विनम्र,विनयशील और चरित्रवान बनाता है।
इंसान का घमंड कितना बेवकूफी भरा होता है ये समझना हो तो पृथ्वी की ये तस्वीर देखिए ,मुझे लगता है ये तस्वीर बताती है कि हमें जिम्मेदारी दिखाते हुए इस धुंधले नीले धब्बे( pale blue dot) को बचाने और सँवारने की कोशिश करनी चाहिये! क्योंकि पृथ्वी के सिवा हमारा और कोई घर नहीं "!(जिसे हम घर कह सकते हैं वह यही है।)
-Carl Sagan, Pale Blue Dot, Random House, 1994